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मन्दे कंमी नानका - जद कद मंदा होए गुरू नानक
Big Man बनके जिन्दगी गुजारने की तमन्ना हर इन्सान में होती है। उसके लिये इन्सान को कौन सा रास्ता अपनाना चाहिये इसको दर्शाया है स्मगलर की कहानी में।
अतीजसिंह (धर्मेन्द्र) और रतन सेठ (अमरीश पुरी) दोनों ही स्मगलर हैं। रतन सेठ कानून से खेलते हुए इन्सानियत को ज़ुल्म के पैरों से कुचलते हुए खून की नदियां बहाकर Big Man बनना चाहता है और अजीतसिंह Principal (मुकेश खन्ना) की नसीहत पर चलकर अपने बेटे के अच्छे भविष्य के लिये अपनी पत्नी (रीना राय) के साथ ईमानदारी और सच्चाई के ज़रिये बड़ा आदर्शवादी इन्सान बनना चाहता है। इन दोनों के सामने खड़ा है कानून इन्स्पेक्टर विजय (अय्युब खान) की शकल में रतन सेठ करीना (हिरोईन) को विजय को मिटाने के लिये मोहरा बनाता है लेकिन करीना विजय के प्रेम में डूबकर रतन सेठ से ही बग़ावत कर देती है। रतन सेठ के कहर की भेंट चढ़ती है करीना की बहन उपासना सिंह। उसका प्रेमी गुग्गू गिल प्रिंसिपल की बहन उसकी भाँजी (रविन्द्र) स्कूल के चालीस मासूम बच्चे अजीत सिंह का बेटा और पत्नी रीना राय।
इन सबकी कुर्बानी रंग लाती है। अजीतसिंह-विजय-करीना और प्रिंसिपल रतन सेठ के रोम रोम से इन कुर्बानियों का हिसाब लेते हैं। रतन सेठ अपने किये हर जुल्म पर पछताता है। उसके गुनाहो को इंसानियत के गंगा जल से धोता है उसका अपना बेटा प्रिंसिपल की बर्बाद भाँजी को अपना कर उसका सहारा बन कर।
(From the official press booklet)